वरिष्ठ पत्रकार व लेखक
—अजय भट्टाचार्य
आज यानि एक नवंबर से देश में आर्थिक संकट, बेरोजगारी, किसानों की समस्याओं और निकट के 16 देशों के साथ क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी के प्रस्तावित समझौते के खिलाफ कांग्रेस एक सप्ताह तक देशव्यापी प्रदर्शन करने वाली है और पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी विदेश यात्रा पर हैं। इस विरोध प्रदर्शन के तहत एक से आठ नवंबर तक कांग्रेस के नेता देश भर में 35 प्रेस कांफ्रेंस भी करने वाले हैं और नवंबर के दूसरे पखवाड़े से शुरू होने वाले संसद के शीत सत्र से पहले कुछ मुद्दों पर सरकार को घेरना चाहते हैं जिनमें क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक समझौता मुख्य है। कांग्रेस का मानना है कि यदि भारत इस समझौते पर हस्ताक्षर कर देता है तो देश के बाज़ार विदेशी उत्पादों की सबसे बड़ी मंडी में तब्दील हो जायेंगे और पहले से ही लडखडाई देश की अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव डालेंगे। ध्यान रहे हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के दरम्यान भी राहुल अंतर्ध्यान होने के बाद प्रकट हुए थे और चुनिन्दा प्रचार सभायें संबोधित कर रस्म अदायगी की थी। 2017 में हिमाचल प्रदेश और गुजरात विधान चुनावों की मतगणना वाले दिन राहुल दिल्ली के एक सिनेमाघर में स्टार वार्स फिल्म देख रहे थे। अब एक बार फिर राहुल की गैर मौजूदगी को ठीक उसी तरह देखा जा रहा है जैसे पूरी बारात तो सज-धज कर तैयार हो और दूल्हा लापता हो।
संघ की बैठक क्यों टली ?
इधर कांग्रेसी केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन की तैयारी में हैं उधर केंद्र सरकार की अगुआ भाजपा के पितृ संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की हरिद्वार में होने वाली प्रचारकों की बैठक स्थगित कर दी गई है। यह पहला मौका है जब संघ ने अपनी पूर्व नियोजित बैठक रद्द की हो। यह बैठक बीते कल यानि 31 अक्टूबर से शुरू होनी थी जिसमें सर संघचालक मोहन भागवत, भैयाजी जोशी, दत्तात्रय होसबोले और कृष्णगोपाल की मौजूदगी में संघ आगामी पांच वर्षों की योजना बनाने वाला था। इस बैठक में संघ के वर्तमान प्रचारकों के अलावा संगठन से भाजपा में गए प्रचारकों को भी शामिल होना था। विशेष यह है कि संघ नेतृत्व के व्यस्त कार्यक्रम को ध्यान में रखकर यह बैठक आयोजित की गई थी जिसका टलना राजनीतिक हलकों में कौतुहल का विषय है क्योंकि यह संघ की इस प्रकार की बैठक पांच साल में एक बार होती है और संघ नेतृत्व अपनी भावी रणनीति की रूपरेखा निर्धारित करता है। इस तरह की बैठक में संघ के प्रचारक अन्य भाजपा सहित संघ के अन्य संगठनों में गए वरिष्ठ और प्रभावशाली सदस्यों से मिलते हैं। अटकलें हैं कि अयोध्या विवाद के संभावित फैसले के मद्देनजर संघ ने यह बैठक स्थगित की है।
अंडे पर सियासत
मध्य प्रदेश सरकार ने आंगनबाड़ियों में बच्चों और गर्भवती महिलाओं को अंडे बाँटने का फैसला किया है जिस पर भारतीय जनता पार्टी बिफर गयी है। मध्य प्रदेश सरकार का मानना है कि अंडा पोषक तत्व है और कुपोषण को दूर करने में अंडा सहायक सिद्ध हो सकता है। समेकित बाल विकास सेवाएं (आईसीडीएस) के तहत 89 आदिवासी इलाकों से इसकी शुरुआत होगी। इस योजना को लागू करने से पहले मुख्यमंत्री कमल नाथ को अधिकारियों ने अंडा वितरण योजना का खाका पेश किया था जिसमें बताया गया कि अंडे परोसने से कुपोषण कैसे कम किया जा सकता है। इसमें विशेष तौर पर आदिवासी इलाकों पर ज्यादा ध्यान केन्द्रित किया गया था। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने इसे धार्मिक मान्यताओं से खिलवाड़ करने वाला कदम बताया है। विजयवर्गीय के अनुसार, ‘मध्य प्रदेश सरकार का आंगनबाड़ियों में अंडे के फैसले का हम विरोध करते हैं। मुझे लगता है कि आंगनबाड़ी में अंडा बंटवाकर लोगों की धार्मिक मान्यताओं से खिलवाड़ हो रहा है। ऐसे में किसी को भी धार्मिक मान्यताओं से खिलवाड़ करने का अधिकार नहीं चाहे वह सरकार ही क्यों न हो।’ वैसे यह भी महत्वपूर्ण है कि भोजन का अधिकार आन्दोलन के प्रवर्तक सचिन जैन ने पिछले महीने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इसकी मांग की थी। विरोधाभास यह है कि जैन धर्म अंडे को खाना मांसाहार मानता है। इससे सचिन जैन भी लपेटे में आ गए हैं।
छठ पूजा में लालू के घर सन्नाटा
छठ पर्व शुरू हो गया है और पटना के 10 सर्कुलर रोड स्थित बंगले में सन्नाटा पसरा है। राष्ट्रीय जनता दल सुप्रीमो लालूप्रसाद यादव के इस आवासीय परिसर को घरेलू महाभारत का ग्रहण लग गया है। पिछली बार 2017 में लालू के आवास पर छठ पूजा की गई थी। उस दिन घर के मुखिया लालू प्रसाद यादव भी परिवार के साथ थे। तब घर के अंदर बने कुंड पर राबड़ी देवी समेत परिवार के सभी सदस्यों ने अस्ताचल गामी सूर्य को अर्घ्य अर्पण किया था।
छठ व्रतियों नहाय-खाय के साथ ही छठ की विधिवत शुरुआत हो गई है लेकिन लगातार दूसरे साल भी लालू-राबड़ी के घर पर छठ पूजा नहीं होगी। बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी व्यक्तिगत कारणों से इस बार भी वह छठ पूजा नहीं कर रही हैं। लालू यादव के जेल में रहने के कारण पिछले साल भी राबड़ी देवी ने छठ पूजा नहीं की थी। इस बार भी लालू यादव जेल में ही हैं। उनके दोनों बेटे तेजस्वी यादव और तेजप्रताप यादव बीते कुछ दिनों से पटना से बाहर हैं। खुद राबड़ी देवी की सेहत भी ठीक नहीं है। ऊपर से तेज प्रताप यादव की पत्नी ऐश्वर्या राय से तलाक की जिद के कारण भी लालू परिवार परेशान है।