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क्या भारत भी इटली का अनुकरण करेगा ???

इटली की संसद में अंग्रेजी की अनिवार्यता खत्म कर इतालवी भाषा पर जोर, मसौदा किया तैयार ,सभी सरकारी ,गैरसरकारी कामकाज में अनिवार्य:-

 

कृष्ण मिश्र “गौतम”

स्टार मीडिया न्यूज,
भारत देश में विश्व की महान संस्कृति की विरासत संजोए हैं। देश को आजाद हुए 75 साल हो गए , लेकिन आज तक जन जन तक सीधे बोली और समझनी वाली भाषा हिंदी को आज तक राष्ट्र भाषा का दर्जा नही प्राप्त हुआ है। वहीं इटली जैसे विकसित देश अपनी भाषा और संस्कृति और स्थानीय भाषा को बढ़ावा देने के लिए अंग्रेजी भाषा की अनिवार्यता खत्म करने के लिए मसौदा तैयार किया गया ,तथा संसद में ड्राफ्ट तैयार किया गया है। इस ड्राफ्ट में स्थानीय भाषा के उपयोग पर कई तरह के दंड का भी प्रावधान किया गया है।
समाचार एजेंसी राइटर ने संक्षिप्त में बताया की यह ड्राफ्ट बिल ऐसे समय में आया है जब दूर-दराज की सरकार स्थानीय संस्कृति को संरक्षित करने के लिए उपाय कर रही हैं।
इटली के प्रधान मंत्री जियोर्जिया मेलोनी की पार्टी ने कानून का प्रस्ताव दिया है जो देश में सार्वजनिक और निजी निकायों को आधिकारिक संचार में विदेशी शब्दों, विशेष रूप से अंग्रेजी का उपयोग करने पर प्रतिबंध लगाना है। जिसे इटली पार्टी के राष्ट्रवादी ब्रदर्स के सांसदों द्वारा तैयार किया गया है, जिस का उद्देश्य इतालवी भाषा को बढ़ावा देना है और नियम का उल्लंघन करने पर 100,000 यूरो ($108,750) तक का जुर्माना लग सकता है।
मसौदा विधेयक में कहा गया है, “यह केवल फैशन की बात नहीं है, जैसा कि फैशन है, ये सभी देशप्रेमियों के लिए पूरे समाज पर प्रभाव डालेगा। ड्राफ्ट बिल का दावा है कि अंग्रेजी भाषा “इतालवी लोगों को नीचा और अपमानित करती है”।
मसौदे में यह भी निर्दिष्ट किया गया है कि नौकरी से संबंधित सभी आवेदन, जिनमें नाम और परिवर्णी शब्द शामिल हैं, सभी को इतालवी में लिखा जाना चाहिए, विदेशी शब्दों की अनुमति केवल तभी दी जानी चाहिए जब उनका अनुवाद करना असंभव हो।
भारत में भी भाषा , संस्कृति को ले कर काफी चर्चाएं होती रही है , हिंदी पखवाड़ा सप्ताह बड़े धूम धाम से मनाया जाता रहा है , लेकिन संसद में इस विषय को लेकर मजबूत विधेयक तैयार नही किया जा सका। यक्ष प्रश्न है की इटली जैसे विकसित देश अंग्रेजी को नकार सकते हैं तो भारत जैसा महान देश अपनी सभ्यता ,संस्कृति के लिए ऐसे विधेयक कब तैयार और पेश करेगा ????

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