स्टार मीडिया न्यूज ब्यूरो,
मुंबई। मीरा रोड पूर्व स्थित विरुंगला केन्द्र में मेरे सद्य: प्रकाशित कविता संग्रह “सिवान में बांसुरी” का विमोचन सुप्रसिद्ध कवि श्री राजेश जोशी जी के हाथों किया गया। आयोजन की अध्यक्षता सुप्रसिद्ध कवि श्री विनोदास जी ने की। इस अवसर पर राजेश जोशी ने कहा कि कविता में इतनी ताकत होती है कि वह पूरे कौम को नया जीवन दे सकती है। उन्होंने ने यह बात पाबलो नेरुदा का उल्लेख करते हुए जनवादी लेखक संघ और स्वर संगम फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में मीरा रोड के विरूंगला केंद्र में आयोजित अपने काव्य पाठ और हृदयेश मयंक के सद्य: प्रकाशित कृति “सिवान में बांसुरी” के विमोचन के अवसर कही ।
हृदयेश मयंक की कृति पर बोलते हुए राजेश जोशी ने उन्हें एक एक्टीविस्ट कवि बताया और कहा कि उनकी कविताओं में गीतकार का तत्व मौजूद है, भले ही उनकी रचनाएं फ्री वर्स में हमारे सामने परोसी गई हैं। उनके अपने संग्रह से ‘उलंघन’ कविता को पढ़ते हुए उन्होंने श्रोताओं को बताया कि यह कविता मुक्तिबोध की पक्षी और दीमक नामक कहानी के करीब है। इसके अलावा उन्होंने गांधी, रोशनी, मैं झुकता हूं, इत्यादि ,मेरा नया टेलीफोन नंबर नामक कविताओं का पाठ किया । श्रोताओं की मांग पर उन्होंने अपनी चर्चित रचना ‘मारे जाएंगे’ का पाठ किया यद्यपि कि इस कविता का पाठ सिनेमा और रंग कर्मी अजय रोहिल्ला ने पहले किया था। उनकी कविता पाठ के पहले डॉ मधुबाला शुक्ला ने मयंक जी की कविता ‘ पगले घर में रहना सीख’ की प्रस्तुति बड़े खुशनुमा अंदाज में किया।
इस बीच रमन मिश्र ने जनवादी लेखक संघ की महाराष्ट्र इकाई की नव गठित कमेटी में सुधा अरोड़ा को अध्यक्ष और संजय विसे को सचिव पद पर नियुक्त होने की जानकारी की। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में विनोद दास ने मयंक जी की कृति की छपाई की प्रशंसा की और पुस्तक पर शैलेष के द्वारा व्यक्त विचारों से सहमति व्यक्त करते हुए कहा कि मयंक जी के संग्रह में गांव अवश्य होता है। उन्होंने राजेश जोशी के रचना कर्म पर बोलते हुए कहा कि राजेश जोशी केवल कवि नही है, वह एक बहुत अच्छे आलोचक हैं। यदि कवियों पर राजेश की आलोचना आप पढ़ेंगे तो तथाकथित और स्थापित समालोचकों को भूल जाएंगे। आलोचना के अलावा राजेश के अनुवाद, बाल साहित्य और नाटक पर किए गए लेखन को पढ़ने की आवश्यकता पर उन्होंने बल दिया।
इस आयोजन में साहित्य, संगीत, कला, सिनेमा पत्रकारिता और नाटक की दुनियां के जाने-माने लेखक, गायक, रंगकर्मी और अभिनेता उपस्थित थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता जाने माने लेखक और कवि विनोद दास जी ने की। जबकि कार्यक्रम का संचालन शैलेष जी के द्वारा किया गया। मयंक जी के साथ अपने जीवन के संस्मरण को सुनाते समय शैलेष भावुक हो गए और आंसूओं को नहीं रोक सके। शुरू में श्रोताओं को लगा कि वह पुस्तक परिचय के दायित्व का निर्वहन नहीं कर सकेंगे। लेकिन अपने को संभालते हुए उन्होंने श्रोताओं के समक्ष पुस्तक की पूरी रूप रेखा प्रस्तुत करते हुए उसमें वर्णित विषयों का उल्लेख करते हुए मयंक जी के पितृ ऋण की अनुभूति को मनुष्यता का प्रतीक बताया।
प्रस्तुति:- डाॅ हरिप्रसाद राय, सचिव स्वर संगम फाउंडेशन