सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले गरीब परिवार के दो सामान्य बच्चों की असाधारण उपलब्धि:-
ऊंची इमारतों में आग लगने की स्थिति में जीवन रक्षक खिड़कियां और समुद्र तट के पर्यटन स्थलों की सफाई के लिए बीच क्लीनर हो सकते हैं उपयोगी:-
श्यामजी मिश्रा /जिग्नेश सोलंकी
वलसाड जिला। “एक छोटा सा विचार कई बड़े आविष्कारों को जन्म दे सकता है”। इस बात की पुष्टि वलसाड जिला के एक सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले गरीब परिवार के दो बच्चों ने की है। वलसाड जिला के पारडी तालुका के खेरलाव गांव के एक आदिवासी परिवार के बेटे जियांश और उमरगाम तालुका के फनसा गांव के माछी समाज के बेटे जैनिल को केंद्र सरकार के “इंस्पायर अवार्ड” के अंतर्गत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनके प्रोजेक्ट के लिए चुना गया है। ये दोनों बच्चे अगले साल मई में जापान में होने वाले ”सकुरा एक्सचेंज प्रोग्राम” में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे। पूरे गुजरात से कुल 3 बच्चों का चयन दिल्ली स्थित विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा जापान यात्रा के लिए किया गया है, जिसमें दो बच्चे केवल वलसाड जिला के हैं, जिनकी इस असाधारण उपलब्धि पर न केवल वलसाड जिला बल्कि पूरा गुजरात गौरवान्वित है।
अभूतपूर्व सफलता हासिल करने वाले वलसाड जिला के इन दो प्रतिभाशाली बच्चों के प्रोजेक्ट के बारे में आपको रोचक जानकारी बताते हैं। पारडी तालुका के छोटे से खेरलाव गांव के प्राथमिक विद्यालय में 8वीं के छात्र जियांश मनीषभाई पटेल और उनके गुरु शिक्षक चेतनभाई आर. पटेल ने सोचा कि सूरत की तक्षशिला इमारत में आग लगने से एक छात्र सहित कुल 22 लोगों की मौत हो गई थी। यदि सुरक्षा बरती गई होती तो जानमाल की हानि से बचा जा सकता था। इसलिए किसी ऊँची इमारत में आग लगने की स्थिति में लोगों की जान बचाने के लिए “लाइफ सेविंग विंडो” कृति तैयार की गई। जिसमें आग का पता लगाने के लिए पीली और लाल एलईडी लाइट के साथ एक सेंसर जुड़ा हुआ है। जब आग लगती है तो सेंसर सक्रिय हो जाता है और इमारत में खिड़की से जुड़ी एक मोटर के कारण आधी खिड़की नीचे खिसक जाती है और सीढ़ी जैसी संरचना बन जाती है। आग में फंसा व्यक्ति अपनी जान बचाने के लिए खिड़की का आधा हिस्सा नीचे सरकाकर बनाई गई जगह से आसानी से नीचे उतर सकता है।
वहीं जापान जाने वाला छात्र दूसरा कृति तैयार किया है जो वलसाड जिला के उमरगाम तालुका के समुद्र तटीय क्षेत्र फनसा गांव से है। वर्ष 2021-22 में कक्षा 8 वीं फनसा प्राइमरी स्कूल में पढ़ाई की और अब कक्षा 10वीं में बी.एम. एण्ड बी. बीएफ. वाडिया हाई स्कूल में पढ़ने वाले जैनिल योगेशभाई मांगेला जब अपने दोस्तों के साथ समुद्र किनारे खेल रहे थे तो समुद्र किनारे की गंदगी देखकर वह परेशान हो गया। इस सागर खेड़ूत बालक के मन में विचार आया कि समुद्र किनारे की साफ-सफाई कैसे की जाए, जिससे कचरा और रेती दोनों अलग हो जायें। इस संबंध में फनसा प्राइमरी स्कूल की मार्गदर्शक शिक्षिका फाल्गुनी एम. पटेल के साथ चर्चा के बाद और काफी माथापच्ची के बाद “बीच क्लीनर” उपकरण तैयार किया गया। जिससे समुद्र तट की सफाई आसानी से की जा सके। उम्मीद है कि यह इनोवेटिव आइडिया पूरे देश में सबसे लंबे 1600 किमी लंबे समुद्री तट वाले गुजरात के समुद्री तट को साफ-सुथरा रखने में काम आएगा। इन दोनों बच्चों की प्रतिभा ने वलसाड जिला का नाम अंतरराष्ट्रीय फलक पर चमकाया है।
रेत में मिले छोटे-छोटे कचरे की हो सकेगी सफाई:- शिक्षिका फाल्गुनी पटेल,
फनसा गांव के प्राथमिक विद्यालय की शिक्षिका फाल्गुनी पटेल ने कहा कि समुद्र तट की सफाई में बड़े कचरे को हाथ से उठाया जा सकता है लेकिन छोटे कचरे रेत में मिल जाते हैं और इससे छुटकारा पाना मुश्किल होता है। अब समुद्र तट क्लीनर उपकरण से आसानी से साफ किया जा सकता है। इस इनोवेटिव आइडिया से समुद्र तट पर पर्यटक स्थलों को साफ करने के लिए बड़े पैमाने पर बीच क्लीनर बनाए जा सकते हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जापान में होने वाले सकुरा एक्सचेंज प्रोग्राम के लिए देशभर से कुल 87 विद्यार्थियों का चयन हुआ है। जिसमें से गुजरात से सिर्फ 3 छात्रों का चयन हुआ है। जिसमें से दो छात्र वलसाड और एक छात्र मेहसाणा का है।
जीवन रक्षक खिड़कियों के प्रयोग से तक्षशिला जैसी घटनाओं में जान बचाई जा सकती है:- शिक्षक चेतन पटेल
खेरलाव प्राइमरी स्कूल के शिक्षक चेतनभाई पटेल ने कहा कि अगर जीवन रक्षक खिड़की परियोजना वास्तव में लागू की जाती है, तो यह स्कूलों, कॉलेजों, संस्थानों और ऊंची इमारतों में भी उपयोगी हो सकती है। वलसाड जिला के दो विद्यार्थियों के हुनर का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चयन होने से शिक्षा जगत में खुशी की लहर दौड़ गयी है। इन बच्चों की अभूतपूर्व उपलब्धि पर हर ग्रामीण को गर्व है। इंस्पायर अवार्ड को लेकर हम राज्य के मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्र भाई पटेल और देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र भाई मोदी जी को धन्यवाद देना चाहते हैं।