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Friday, Apr 26, 2024
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वापी के डुंगरी फणिया में भीषण आग, प्रदूषण और आग की घटनाओं के बावजूद बेखौफ है भंगारी

स्टार मीडिया न्यूज ब्यूरो, 

वापी। वापी शहर में स्थित केमिकल फैक्ट्रियों व अति ज्वलनशील रसायनों के भंगार के जत्थों में आग लगने की घटनाओं से आसपास में रहने वाले लोगों के लिए हमेशा जान का खतरा बना रहता है। भंगार व्यापारियों द्वारा गोडाउन में रखे गए अवैध रूप से अति ज्वलनशील रसायनों की वजह से आये दिन आग लगने की घटनाएं होती रहती हैं। वापी शहर में इसके पहले भी डूंगरी फलिया विस्तार के भंगार के गोडाउन में भयंकर आग लगी थी। जिससे कई लोगों को घर से सुरक्षित दूसरी जगह शिफ्ट करवाना पड़ा था। अभी हाल ही में वापी के करवड गांव में रखे गए कचरे में भीषण आग लग गई थी। और अब 28 मई को रविवार के दिन वापी के डुंगरी फणिया में भंगार के गोडाउन में फिर भीषण आग लग गई। आग लगने की सूचना मिलते ही फायर ब्रिगेड की 12 गाडिय़ां घटना स्थल पर पहुंच कर आग बुझाने की कोशिश की। खैर बहुत ही मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया गया। और जनहानि की कोई सूचना अभी तक सामने नहीं आई है। बार-बार भंगार के गोडाउन में इस तरह की आग की घटनाओं से आस-पास में रहने वाले लोगों में एक तरह का भय का माहौल है। इसके बावजूद भी स्थानीय नेताओं से लेकर शासन-प्रशासन इन भंगारियों पर नकेल कसने में नाकाम साबित हुई है। ये भंगारियों के व्यापारी इतने बेखौफ है कि इनके ऊपर नियम कानून कोई मायने नहीं रखता है। जबकि जी पी सी बी तथा नगरपालिका वापी द्वारा कई प्रकार से सुरक्षा तथा अन्य दस्तावेजी निर्देश दिए गए हैं । परंतु स्क्रैप कारोबारियों की मीटिंग तथा जागरूकता अभियानों के बाद भी खुलेआम खतरनाक केमिकल्स खुली जगहों व गटर-नाले में छोड़ा जा रहा है। ये भंगारीी जी पी सी बी तथा वापी नगर पालिका द्वारा दिए गए दिशा निर्देशों का ये स्क्रैपर या भंगार के व्यापारी नहीं मानते हैं।

डुंगरी फणिया व आसपास के भंगारी फैलाते हैं प्रदूषण:-
आपको बता दें कि डूंगरी फलिया के सिद्धार्थनगर में यह सब हो रहा है , हो ही नहीं रहा है बल्कि दिन दहाड़े किया जा रहा है। ना ही इन्हें जी पी सी बी का डर है और न ही किसी अधिकारी का भय। वर्षो से कैमिकल के प्लास्टिक और केमिकल के खाली ड्रम या अन्य प्लास्टिक का स्क्रैप यहां लाकर उसे धोते है। और धोने के बाद जो इसका वेस्ट कैमिल निकलता है उसे खुले आम बिना किसी संकोच के नालों या खुली जगहों पर बहा दिया जाता है या छोड़ दिया जाता है । इन पर ना जाने किसका आशीर्वाद काम कर रहा है। वैसे देखा जाए तो किसी कंपनी का अगर यह मसला होता तो अब तक कुछ जागृत लोगों के जरिए जी पी सी बी कंपनी में अपनी कार्यवाही के लिए पहुंच गई होती और लाखों की पेनल्टी या क्लोजर लग गया होता, परंतु यहां ऐसा कुछ नहीं है। हालत यह है की जस के तस इसे भंगारी  या भंगारी शब्द पसंद नही है तो स्क्रेपर्स की भरमार है । अधिकतर यहां पर बिना जीपीसीबी के लाइसेंस के कंपनियों से कैमिकल वेस्ट भंगार उठाते है और उसे अपने अपने गोडाउन में लाकर साफ करते हैं। इस वजह से जमीन में तो कभी नालियों में कैमिकल युक्त पानी छोड़ कर प्रदूषण फैलाने का काम करते है। कई बार इन जगहों पर केमिकल्स की वजह से आग की घटनाएं घट चुकी हैं। जबकि इन पर अब कार्यवाही की सख्त जरूरत है। जिससे प्रदूषण को रोका जाए और भूमिगत पानी को प्रदूषित होने से बचाया जाए ।

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