राज्य सरकार ने गुजरात पब्लिक ट्रस्ट अधिनियम -1950 की धारा-36 के प्रावधान में संशोधन किया है:-
ट्रस्ट की संपत्ति का अपसेट मूल्य “जिला स्तरीय मूल्यांकन समिति (डीएलवीसी)” द्वारा निर्धारित किया जाएगा:–
स्टार मीडिया न्यूज ब्यूरो,
गांधीनगर। मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्रभाई पटेल की अध्यक्षता में गांधीनगर में राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में लिए गए महत्वपूर्ण निर्णयों की जानकारी मीडिया को देते हुए प्रवक्ता मंत्री श्री कनुभाई देसाई ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा गुजरात सार्वजनिक ट्रस्ट अधिनियम-1950 की धारा-36 में सार्वजनिक ट्रस्ट की किसी भी अचल संपत्ति की बिक्री, बंधक, विनियमन या भाड़ापट्टे या उपहार के रूप में तब्दील करने की प्रक्रिया में सुधारा कर इस प्रक्रिया को और अधिक सरल और पारदर्शी बनाने का निर्णय लिया गया है।
प्रवक्ता मंत्री श्री ने कहा कि अब तक धारा 36 के तहत ट्रस्ट की संपत्ति के हस्तांतरण की प्रक्रिया मैन्युअल रूप से की जाती थी, जिससे एकाधिकार बढ़ने की संभावना थी। लेकिन इस नए संशोधन के साथ, ट्रस्ट संपत्ति के हस्तांतरण की प्रक्रिया अब अधिक पारदर्शी तरीके से की जाएगी, संपत्ति का उचित मूल्यांकन प्रौद्योगिकी का उपयोग करके किया जाएगा और ट्रस्ट संपत्ति की बिक्री और पट्टे की प्रक्रिया अब ऑनलाइन ई-आक्शन पोर्टल के माध्यम से आयोजित की जाएगी। इसके अलावा, ट्रस्ट की संपत्ति का अदला-बदली करने के लिए ट्रस्टों द्वारा अदला-बदली की जाने वाली दोनों संपत्तियों के मूल्य की तुलना और कम राशि की भरपाई करने के बाद ही अदला-बदली की अनुमति दी जाएगी।
उन्होंने कहा कि अब तक, ट्रस्ट की संपत्ति की बिक्री और पट्टे पर आगे बढ़ने से पहले मिल्कियत अपसेट वैल्यू नक्की करने के लिए जंत्री, सरकार द्वारा अनुमोदित मूल्यांकक की रिपोर्ट और ट्रस्ट के बोर्ड ऑफ ट्रस्टी के अनुमानित बिक्री मूल्य के समाधान को ध्यान में रखकर अपसेट मूल्य तय किया जाता था, अब इस प्रक्रिया में भी सुधार किया गया है। अब से किसी भी ट्रस्ट की संपत्ति का मूल्य निर्धारित करने के लिए सरकार के राजस्व विभाग द्वारा नियुक्त “जिला स्तरीय मूल्यांकन समिति” द्वारा संपत्ति का मूल्य तय करने का निर्णय लिया गया है। इस समिति में जिला कलेक्टर, जिला विकास अधिकारी, संबंधित प्रवर टाउन प्लानर, टाउन प्लानर एवं वैल्यूएशन अकाउंट सदस्य होंगे।
ट्रस्ट की किसी भी संपत्ति की बिक्री, बंधक, पट्टे या उपहार के मामले में, जिला मूल्यांकन समिति से संपत्ति के मूल्य पर एक रिपोर्ट प्राप्त करना अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की मंशा ऑनलाइन प्रक्रिया के माध्यम से सार्वजनिक ट्रस्टों को अधिकतम लाभ प्रदान करना है।
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