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कपराड़ा और नानापोंढ़ा से वापी की तरफ जाने वाली सड़क पर से जाने से लोगों को लगता है डर

हादसों का सिलसिला जारी, विकसित भारत संकल्प यात्रा रथ के इंतजार में है ऊबड़-खाबड़ सड़क, 
श्यामजी मिश्रा 

वलसाड । वलसाड जिला का कपराड़ा विधानसभा क्षेत्र जिला का सबसे बड़ा निर्वाचन क्षेत्र है। कपराड़ा क्षेत्र में सबसे अधिक गांव और सबसे अधिक मतदाता वाला क्षेत्र भी है। परंतु मूलभूत सुविधाओं के अभाव के कारण कपराड़ा क्षेत्र विकास के मामले में जिला का सबसे पिछड़ा क्षेत्र है। जबकि कपराड़ा सबसे अधिक खदानों वाला क्षेत्र माना जाता है। यह क्षेत्र जो जिला में रेलवे लाइनों सहित अन्य सड़कों के लिए सबसे अधिक कंक्रीट की आपूर्ति करता है। अब सबसे आश्चर्य की बात यह है कि इस क्षेत्र में सबसे खराब, धूल रहित और ऊबड़-खाबड़ गड्ढों वाली सड़कें हैं।

यह क्षेत्र कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुए विधायक जीतूभाई चौधरी का निर्वाचन क्षेत्र है। जीतूभाई चौधरी 2007 से राजनीति में सक्रिय हैं। नाम के अनुरूप ही वे चुनाव भी जीतते आये हैं। परंतु विकास के नाम पर सिर्फ बुलबुले फूट रहे हैं। वहीं अब यह ऊबड़-खाबड़ सड़क विकसित भारत संकल्प यात्रा रथ का इंतजार कर रही है कि कब यहां से विकसित भारत संकल्प यात्रा रथ गुजरे और मैं आरती उतारूं।
 कांग्रेस से बीजेपी में शामिल होने से पहले जीतूभाई चौधरी विकास के कई वादे करते थे और जब वो पूरे नहीं होते थे तो बीजेपी सरकार पर अपना गुस्सा निकालते थे। हालांकि, किस्मत पलटी और जीतूभाई चौधरी भी कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए। इसके बाद उन्होंने दुबारा चुनाव लड़ा और जीते भी और भाजपा सरकार में जल संसाधन मंत्री बने, परंतु अब पूर्व मंत्री भी बन गये हैं। परंतु वे अपने राजनीतिक शासन के दौरान, जल, स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र में पिछड़े हुए कपराड़ा तालुका को विकास की ओर ले जाने में सबसे अधिक विफल रहे।
आज भी कपराड़ा तालुका का क्षेत्र और इसमें रहने वाले नागरिक पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क की समस्या से जूझ रहे हैं। कांग्रेस काल की खस्ताहाल सड़क जो आज भी विकास का ढिंढोरा पीटने वाली भाजपा के राज में सड़कें खस्ताहाल है। अब कपराड़ा क्षेत्र के लोग उम्मीद लगाए बैठे हैं कि भारत का चंद्रयान मिशन तो सफल हो गया, परंतु कपराड़ा का रस्तायन मिशन कब सफल होगा ?
कपराड़ा तालुका क्षेत्र एक  ऐसा क्षेत्र है जिसकी सीमा महाराष्ट्र से लगती है। इस क्षेत्र से होकर गुजरने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 56 जो अधिक गड्ढों वाली सड़क बनकर रह गई है। हालांकि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने गुजरात को विकास के पथ पर आगे बढ़ाया। परंतु दुर्भाग्यवश आदिवासी बहुल क्षेत्र कपराड़ा आज भी विकास के लिए तरस रहा है। दुर्घटनाओं और जनहानि के लिए बदनाम यह सड़क आज भी जर्जर बनी हुई है। अब सरकार इस सड़क को फोरलेन सड़क कब बनवायेगी ? दुर्घटनाओं की संख्या में कमी कैसे आयेगी और इस पर मंथन कब होगा ? क्या इन कच्ची सड़कों को डामर या कंक्रीट की सड़कें बनाने के लिए यहां के स्थानीय विधायक व नेता सरकार के खिलाफ बिगुल बजायेंगे ? कपराड़ा की इन सड़कों का विकास कब होगा ? अब ऐसे कई सवाल कपराड़ा विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं के बीच उठ रही है।
जबकि इसके अलावा धरमपुर -नानापोंढ़ा -कपराड़ा होते हुए नासिक तक जाने वाला हाइवे काफी जर्जर हो चुका है। सड़क पर बने बड़े-बड़े गड्ढों के कारण कई ट्रक पलट रहे हैं। वहीं वाहन चालक अपनी और यात्रियों की जान हथेली में लेकर धूल के ढेरों के बीच से गुजर रहे हैं। कुंभ घाट, तड़केश्वर मंदिर घाट, मांडवा ढाल के आसपास का क्षेत्र जैसे मौत की सड़क बन गई है। वर्तमान में राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश के मतदाताओं को लुभाने के लिए गुजरात के विकास का ढिंढोरा पीट रहे भाजपा सरकार के नेताओं की बात सुनने की बजाय इस क्षेत्र के मतदाताओं और कपराड़ा क्षेत्र के इस हाइवे से होकर गुजरने वाले उन ट्रक ड्राइवरों से सुनें जो अपने राज्य में आते हैं। प्रतिदिन इस सड़क पर से गुजरने वाले वाहन चालकों में यही चिंता रहती है कि किसी तरह हम सही सलामत अपने घर पर पहुंचे । वहीं अब यह ऊबड़-खाबड़ सड़क भी विकसित भारत संकल्प यात्रा रथ का इंतजार कर रही है कि कब विकसित भारत संकल्प यात्रा रथ यहां से गुजरे और मैं उसकी आरती उतारूं।

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